जाने आखिर पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद क्यों रो पड़े थे वाजपेयी जी

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अगर हम देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की बात करे तो इसमें कोई शक नहीं कि अटल जी न केवल एक बेहतरीन राजनेता थे बल्कि एक बहुत अच्छे इंसान भी थे. ऐसे में पूरे देश के लिए ये वास्तव में बड़े दुःख की बात है कि हमने इतना अच्छा राजनेता खो दिया. हालांकि होनी को कोई नहीं टाल सकता और ये भी तय है कि जो व्यक्ति इस दुनिया में आता है, उसे एक न एक दिन इस दुनिया से जाना ही पड़ता है. मगर फिर भी अटल जी इतने अच्छे इंसान थे कि उन्हें भुला पाना आसान नहीं होगा. बरहलाल आज हम आपको अटल जी की जिंदगी से जुड़ा एक बेहतरीन किस्सा बताने वाले है.

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि यह साल 1996 की बात है. जब अटल जी प्रधानमंत्री पद की शपथ लेकर छह रायसीना रोड वाले बंगले पर वापिस लौटे थे. जी हां ये वही बंगला है जहाँ अटल जी सालो से रह रहे थे. गौरतलब है कि इस बंगले का मेन गेट हमेशा ही खुला रहता था. अब यूँ तो नेता विपक्ष होने के कारण उन्हें थोड़ी बहुत सुरक्षा मिली हुई थी, लेकिन फिर भी उनसे मिलने के लिए लोगो का आना जाना लगा ही रहता था. बता दे कि मिलने आने वाले लोगो के लिए अटल जी हमेशा मौजूद रहते थे. मगर उस दिन सब कुछ बदल गया था.

दरअसल प्रधानमंत्री की सुरक्षा करने वाली एसपी ने उनके बंगले को अपने घेरे में ले लिया था. यहाँ तक कि रेल भवन से उनके घर की तरफ आने जाने वाले आम लोगो को आवाजाई भी रोक दी गई थी. बता दे कि दिल्ली पुलिस के कई सिपाहियों का दस्ता भी उनके घर के आस पास तैनात कर दिया गया था. हालांकि प्रधानमंत्री बनने से पहले अटल जी के घर किसी भी व्यक्ति को मामूली सी पूछताछ करने के बाद अंदर जाने की इजाजत दे दी जाती थी. मगर प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके बंगले के बाहर रस्सियों से दूर तक घेरा बंदी कर दी गई थी.

वही गेट पर काफी समय पहले ही मेटल डिटेक्टर लगा दिया गया था. यानि अगर हम सीधे शब्दों में कहे तो इस कड़े प्रबंध के बाद लोगो का अटल जी से मिलना काफी मुश्किल हो गया था. गौरतलब है कि एसपी की गाड़ियों से घिरी कार में बैठ कर अटल जी राष्ट्रपति भवन से शपथ लेकर वापिस लौट रहे थे और साथ ही लौटते हुए पूरा प्रबंध भी देख रहे थे. हालांकि इन सब चीजों को देख कर अटल जी इतने बेचैन हो गए थे कि उनकी भावनाओ का कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता. बरहलाल एक टीवी प्रोग्राम के दौरान जब अटल जी से इन सब प्रबंधो के बारे में पूछा गया तब जवाब देते हुए अटल जी काफी भावुक हो गए थे.

बता दे कि इसके जवाब में उन्होंने सात शब्द कहे थे और वो ये कि मैं बहुत बंधा हुआ अनुभव करता हूँ. बस इतना सा वाक्य खत्म करने के बाद उन्होंने अपनी नजरे नीची कर ली. दरअसल अटल जी इतना कड़ा प्रबंध और दिखावा नहीं चाहते थे और न ही आम लोगो को खुद से दूर करना चाहते थे. इसी वजह से सवालों का जवाब देते हुए वह रो पड़े थे. यानि अगर हम सीधे शब्दों में कहे तो उस दिन अटल जी के आंसुओ ने यह साबित कर दिया था कि वह कितनी साधारण शख्सियत के मालिक है और उन्हें अपने लिए किसी भी खास प्रबंध की कोई इच्छा नहीं थी.

वास्तव में उनके बंगले के बाहर इतना कड़ा प्रबंध देख कर अटल जी खुद को बंधा हुआ सा महसूस कर रहे थे और यही एक अच्छे नागरिक और राजनेता की पहचान है.