हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी पर लोग लाखो की संख्या में झंडे खरीदते हैं. इन ख़रीदे गए झंडों में ज्यादातर प्लाटिक से बने तिरंगे होते हैं. इन तिरंगों को खरीदने के बाद लोग दिनभर अच्छे से सेलिब्रेट करते हैं. कोई अपने घर पर इन्हें लगाता हैं तो कोई अपनी गाड़ी पर इसे सजाता हैं. वहीँ कई बच्चे और बड़े इसे लेकर अपने स्कूल और ऑफिस भी जाते हैं. लेकिन जब एक बार 15 अगस्त या 26 जनवरी समाप्त हो जाता हैं तो इसके दो तीन दिनों के बाद ये झंडे या तो सड़क पर पड़े मिलते हैं या कचरे के डब्बे में चले जाते हैं. ऐसी स्थिति में ना सिर्फ हमारे भारतीय तिरंगे का अपमान होता हैं बल्कि इन प्लास्टिक की पन्नी से बने झंडो से पर्यावरण भी दूषित होता हैं.
ये समस्यां हर साल जस की तस बनी रहती हैं. ऐसे में इस प्रॉब्लम का हल खोजने के लिए नई दिल्ली की Biotechnological Engineer कृतिका सक्सेना ने एक अनोखा और दिलचस्प आईडिया निकाला हैं. कृतिका ने इस साल से Biodegradable झंडे बनाना शुरू किए हैं. इन झंडो की ख़ास बात ये हैं कि इन्हें एक बार इस्तेमाल करने के बाद आप इसे पौधे में भी कन्वर्ट कर सकते हैं जो कि हमारे पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद रहेगा.
अब आप सोच रहे होंगे कि भला एक झंडा पौधा कैसे बन सकता हैं? दरअसाल ये झंडा कॉटन फ़ाइबर मटेरियल से बना हैं जो कि प्रर्यावरण के लिए सेफ हैं और कुछ समय बाद अपने आप जमीन में गल के घुल जाता हैं. दूसरी चीज ये हैं कि इन Biodegradable झंडों में मिर्ची और टमाटर के बीज भरे हुए हैं. मतलब जब आप इन झंडो का उपयोग कर ले तो इसके अन्दर के बीजो को जमीन में लगा के पौधा उगा सकते हैं.
कृतिका अभी तक इस तरह के 4 हजार झंडे बेंगलुरु में बेच चुकी हैं. पहले कृतिका का इरादा सिर्फ 1 हजार झंडे ट्रायल के रूप में बनाने का था लेकिन जब व्हाट्सऐप पर कृतिका के ‘बीज वाले झंडे’ का आईडिया पसंद किया गया और लोगो ने इंटरेस्ट जताया तो उन्होंने करीब 14 हजार झंडे बना लिए. बेंगलुरु के अलावा कृतिका के पास हैदराबाद और लखनऊ से भी ऑर्डर आए हैं.
इस अनोखे झंडे की कीमत सिर्फ 8 रुपए हैं और इसका साइज़ दो बाय तीन वर्ग इंच का हैं. कॉटन फाइबर से बने इन झंडो में ज्यादातर टमाटर और मिर्ची के बीज होते हैं. कृतिका को ये आईडिया तब आया जब उसने स्वतंत्रता दिवस के बाद कई झंडो को कचरे के डब्बे में पड़ा हुआ देखा. ऐसे में अपने देश और पर्यावरण के लिए कुछ कर गुजरने के जज्बे ने इस पर्यावरण फ्रेंडली झंडे का आविष्कार करा दिया.
इस साल तो कृतिका का आईडिया नया था और इसके बारे में ज्यादा लोगो को पता भी नहीं था. लेकिन अगले साल कृतिका को उम्मीद हैं कि उन्हें इस झंडे को बनाने के लिए और भी कई ऑर्डर मिलेंगे.
कृतिका की इस अच्छी सोच को हमारा सत सत नमन हैं. बहुत कम लोग हैं जो लॉजिक के साथ अपने देश को सुधारने का प्रयत्न करते हैं. कृतिका सक्सेना उनमे से ही एक हैं.