नवरात्रि के प्रथम दिन इस विधि और नियम से करें घटस्थापना, मिलेगा माँ दुर्गा का आशीर्वाद और लाभ ही लाभ

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नवरात्रि हमारे हिन्दू धर्म के प्रमुख  त्योहारो में से एक हैं| नवरात्रि के दिनों में लोग 9 दिनों तक माता दुर्गा के नवों रूपों की उपासना करते हैं| इस दौरान उपासना के साथ मंगल घट स्थापना और साथ ही अखंड दीप को उपवास के साथ प्रज्वलित रखने के भी प्रावधान है| आपकी जानकारी के लिए बता दे के इस वर्ष नवरात्रि का यह पावन पर्व 10 अक्टूबर से आरंभ हो रहा है| हमारी आज की यह जानकारी आपके लिए नवरात्रि पर कलश की स्थापना विधि और नियम के विषय पर है|

घटस्थापना के साथ आराधना के लिए कलश को पहले दिन से स्थापित करना होता है और इसके बाद इसे लगातार 9 दिनों तक अखंड ज्योति के रूप में जलता हुआ रखना होता है| परन्तु घटस्थापना कसते वक्त आपको कुछ नियमों का विशेष पालन करना होता है और ध्यान रखना होता है जो कि बहुत ही आवश्यक होता है| बता दे के अगर आप इन नियमों का अच्छी तरह से पालन करते हैं तो इससे माता रानी की कृपा आप पर बनी रहती है|

ऐसे करें मंगल कलश की स्थापना

कलश स्थापना करने से पहले आप जिस कलश को स्थापित करने जा रहे हैं तो सबसे कलश जहां रखना है वहां मिट्टी की वेदी बनाई जाती है और उस पर हल्दी से अष्टदल बनाया जाता है। उसके ऊपर कलश रखा जाता है। कलश के अंदर पंच पल्लव, जल, दुर्वा, चंदन, पंचामृत, सुपारी, हल्दी, अक्षत, सिक्का, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, डाले जाते हैं। इसके बाद कलश के ऊपर रोली से स्वास्तिक बनाया जाता है। कलश के ऊफर आम के पत्ते भी रखने का विधान है। कलश पर नारियल रखने से पहले ऊपर कटोरी में जौ या गेहूं रखे जाते हैं। कलश पर नारियल को लाल कपड़े से लपेट कर रखा जाता है। इसके बाद पंचोपचार से कलश का पूजन किया जाता है अब इसपर आम के पत्ते के साथ एक दीप जलाएं|

घटस्थापना की सही दिशा

अगर आप घर में कलश की स्थापना करना चाहते हैं, तो सबसे पहले नारियल का मुख वाला भाग (जिस तरफ नारियल पर काले निशान होते हैं) सदैव आराधक की ओर ही होना चाहिए। जहां, कलश-स्थापना में नारियल का मुख नीचे की ओर रखने से शत्रुओं की वृद्धि होती है वहीं नारियल का मुख ऊपर की ओर रखने से रोग सताते हैं और नारियल का मुख पीछे की ओर होने से धन का नाश होता है।

ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) देवताओं की दिशा माना गया है. इसी दिशा में माता की प्रतिमा तथा घट स्थापना करना उचित रहता है. माता प्रतिमा के सामने अखंड ज्योति जलाएं तो उसे आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) में रखें. पूजा करते समय मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में रखें.घट स्थापना चंदन की लकड़ी पर करें तो शुभ होता है. पूजा स्थल के आस-पास गंदगी नहीं होनी चाहिए.

अखंड ज्योत जलाए

नौं दिनों तक शक्ति की आराधना करने वाले जातक अखंड ज्योति जलाकर माँ दुर्गा की साधना करते हैं. अखंड ज्योति अर्थात ऐसी ज्योति जो खंडित न हो. अंखड दीप को विधिवत मत्रोच्चार से प्रज्जवलित करना चाहिए. नवरात्री में कई नियमो का पालन किया जाता है जिसमे माता के सामने नौ दिन तक अखंड दीपक जलाया जाता है|नवरात्री में अखंड ज्योत का बहुत महत्व होता है. इसका बुझना अशुभ माना जाता है. जहा भी ये अखंड ज्योत जलाई जाती है वहा पर किसी न किसी की उपस्थिति जरुरी होती इसे सूना छोड़ कर नहीं जाते है.

किस चीज का हो कलश: 

पूजा में कलश सोने, चांदी, मिट्टी और तांबे का रख सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि लोहे का कलश पूजा में न रखें।