आखिर क्या होता है खरमास, इसके लगते ही क्यों रूक जाते हैं सभी शुभ काम

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हिंदू धर्म में विश्वास रखने वाले लोगों को ये तो पता ही होगा कि वो कोई भी काम शुभ समय में देख करते हैं, पर क्या आपको पता है कि सालभर में कुछ समय ऐसा भी आता है जो कि अशुभ माना जाता है, और उस दौरान किसी भी तरह के मांगलिक कार्य करने को वर्जित माने जाते हैं। दरअसल हम बात कर रहे हैं खरमास के बारे में जो कि 16 दिसंबर से लगने वाला है, ज्योतिष की मानें तो भगवान सूर्य 16 दिसंबर को दोपहर 03 बजकर 27 मिनट पर वृश्चिक राशि की यात्रा समाप्त करके धनु राशि में प्रवेश कर रहे हैं जिसके साथ ही खरमास की भी शुरूआत हो जाएगी। सूर्यदेव जब भी देवगुरु बृहस्पति की राशि धनु या मीन पर भ्रमण करते हैं तो उसे प्राणी मात्र के लिए अच्छा नहीं माना जाता और शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं।

क्या होता है खरमास

अब कई लोगों के मन में ये सवाल आता होगा कि आखिर खरमास होता है और इसका मतलब क्या होता है। तो बता दें कि खरमास का अर्थ ही होता है ‘दुष्टमास’ , हालांकि कई लोग खरमास को मलमास के नाम से भी जानते हैं। कहा जाता है कि इस समय में सूर्य बिलकुल ही क्षीण होकर तेज हीन हो जाते हैं। माना जाता है कि यह मास मलिन होता है। पंचांग के अनुसार यह समय सौर मास का होता है जिसे खरमास कहा जाता है। माना जाता है कि इस मास में सूर्य देवता के रथ को घोड़े नहीं खींचते हैं। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि मलमास या खरमास का महीना शुभ नहीं माना जाता है, ऐसी कई मान्यताएं हैं कि खरमास में विवाह, भवन-निर्माण, नया व्यापार या व्यवसाय आदि शुभ कार्य वर्जित हैं।

खरमास में क्यों वर्जित होता है शुभ कार्य

इस माह में देवगुरु बृहस्पति के उग्र अस्थिर स्वभाव एवं सूर्य की धनु राशि की यात्रा और पौष मास के संयोग से बनने वाले इस मास के मध्य शादी-विवाह, गृह आरंभ, गृहप्रवेश, मुंडन, नामकरण आदि मांगलिक कार्य शास्त्रानुसार निषेध कहे गए हैं। मान्यता है कि ये हानि-लाभ ग्रहों की चाल और स्थिति पर भी निर्भर करते हैं। ग्रहों की इन्हीं दशा में से एक मलमास होता है जिसे खरमास के नाम से भी जाना जाता है। जैसे हिंदू धर्म में श्राद्ध और चार्तुमास में शुभ-शगुन के काम करना अच्छा नहीं माना जाता है वैसे ही खरमास के दौरान भी सभी तरह के अच्छे कार्य करना वर्जित माना जाता है।

खरमास पर क्या करें

अब एक सवाल ये भी आता है कि आखिर खरमास के दोरान क्या करना चाहिए व क्या नहीं करना चाहिए। तो बता दें कि जो लोग राज्यपद की लालसा रखने वाले, बेरोजगार नवयुवकों अथवा अधिकारियों से प्रताड़ित होते हैं उन्हें प्रातःकाल में लालसूर्य की आराधना करनी चाहिए। जिन्हें बार-बारचोट लगती हो, दुर्घटना के शिकार अधिक होते हों, अपनी हत्या का भय हो, हृदयघात-हार्टअटैक होता हो या संभावना हो तथा जो अकाल मृत्यु के भय से डरे हों यदि वे दोपहर ‘अभिजीत’ मुहूर्त में सूर्य की आराधना करें तो उन्हें जीवन पर्यंत इसका भय नहीं रहेगा, न ही इस तरह की बीमारियों से उनकी मृत्यु होगी।