करीब 600 साल से यहां मुस्लिम महिलाएं करती हैं भगवान शिव की पूजा, बताया अल्‍लाह ईश्‍वर सब है एक

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आजकल सावन का महीना चल रहा है इसलिए हर तरफ जहां देखों शिव भक्‍त ही नजर आ रहे हैं मंदिरों में भी काफी भीड़ दिख रही है। पूरा देश सावन के माह में भगवान शिव को प्रसन्‍न करने में लगा हो। वहीं ये बात भी हम सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म में देवी देवताओं की मान्‍यता बेहद ही ज्यादा है।

लेकिन ये बात भी झुठला नहीं सकते हैं कि चाहे इंसान का धर्म कोई भी हो हर किसी का एक न एक ईश्‍वर या आराध्‍य जरूर होता है मुस्लिम धर्म में जहां अल्लाह को माना जाता है वहीं हिंदूधर्म में लोग भगवान को मानते हैं लेकिन ये तो सच है कि हर कोई ईश्वर के रूप में ही इन्‍हें पूजता है। वैसे आपने देखा होगा या सुना होगा कि अक्सर इन मुद्दों पर बहस छिड़ जाती है।

कोई खुद को हिंदू तो कोई मुस्लमान कहने लगता है। लेकिन आज एक ऐसी खबर सामने आई है जिसे सुनकर हिंदू मुस्लिम जो धार्मिक भेदभाव का पर्दा है वो हट जाएगा। जी हां आपको बता दें कि यूपी में एक ऐसा ही मिसाल देखने को मिला जो हिंदू मुस्‍िलम के भाईचारे को दर्शाता तो है ही उसके साथ ही एकता का संकेत भी देता है। ये हमारे समाज के लिए सच में एक मिसाल है। दरअसल आपको बता दें कि हम बात कर रहे हैं यूपी के जिस शहर में अक्सर हिन्दू मुस्लिम को लेकर विवाद खड़ा होता है वहीं से इस खबर को पढ़ने के बाद आपको थोड़ा सुकून जरूर महसूस होगा।

जी हां जानकारी के लिए बता दें कि यूपी के कन्नौज में एकता के मिसला की एक अलग ही तस्वीर उभर कर सामने आई है। दरअसल बताया जाता है कि यहां शिवरात्रि के अवसर पर मुस्लिम महिलाओं ने मन्दिर जाकर शिवरात्री का पर्व मनाया। मुस्लिम महिलाओं ने इसे भी अपनी परंपरा का हिस्सा बताया। उनका कहना था कि हमारे लिए अल्लाह और भगवान में कोई अंतर नहीं है और हमें सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करना चाहिए। कन्नौज में छिबरामऊ में ये अनोखा रूप देखने को मिलता है ।

बताया जाता है कि करीब 600 साल पुराने इस चमन ऋषी आश्रम में भगवान शिव की पूजा होती है और इसे करने के लिए हिन्दू व मुस्लिम दोनों ही समुदाय के लोग हर साल आते है। जी हां ये सुनकर वाकई में आपको यकीन नहीं हो रहा होगा लेकिन ये सच है। दरअसल मुस्लिमों के मंदिर आने और शिवजी की अराधना करने का ये सिलसिला आज नया नहीं बल्कि कई सालों से चला आ रहा है। खास बात तो ये है कि बेहद ही शौक से यहां मुस्लिम महाशिवरात्रि पर आते हैं और भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं।

यहां जितनी भी मुस्लिम महिलाएं आती है जब उनसे यहां आने का कारण पूछा गया तो उनका कहना था कि वे यहां पर काफी पहले से आ रहे हैं क्‍योंकि उनके पूर्वज भी यहां आते थे।

यहां आना उनकी परंपरा का एक हिस्सा बन गया है जिसे वो निभाती है। ये वाकई में हैरानी भरा है और साथ ही हमारे देश को एक भाइचारे का संदेश भी देता है।