इस लड़की ने 10 वीं में आए थें 84 प्रतिशत लेकिन 11 वीं में 2 बार हो गई फेल, सच सामने आया तो उड़ गए उसके होश

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हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटियों को बचाने और पढ़ाने के लिए ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा दिया लेकिन यह नारा कई मायनो में फीका पड़ता जा रहा हैं| हमारे देश के कई राज्यों में ऐसी घटनाएँ सुनने और देखने में आती हैं जिसके बाद इस तरह के नारे एक जुमले बनकर रह जाते हैं| ये नारे वास्तविकता से कोसो दूर नजर आते हैं| हमारे देश में कानून हैं की सभी को पढ़ने का अधिकार हैं|

चाहे वो कोई सामान्य हो या कोई दिव्यांग बच्चा हो, पढ़ने का अधिकार सबको हैं| लेकिन हमारे देश का दुर्भाग्य हैं आज भी हमारे देश में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो दिव्यांगों को सामान्य बच्चो की तरह नहीं मानते हैं| चाहे भले ही उस दिव्यांग बच्चे में टैलेंट कूट-कूट कर भरा हो, उसे वह सम्मान नहीं दिया जाता हैं जितना एक सामान्य बच्चे को दिया जाता हैं| ऐसी ही एक घटना देहरादून में देखने को मिली| जहां एक दिव्यांग छात्रा ने आरोप लगाया है कि उसे 11वीं कक्षा में जानबूझकर दो बार फेल किया गया| जब इस बात की जांच की गयी तो सच्चाई कुछ और बयां कर रही थी|

देहारादून की इस दिव्यांग छात्रा का नाम प्रियंका है और वह आईटीबीपी केंद्रीय विद्यालय में 11वीं कक्षा की छात्रा है| मीडिया के मुताबिक प्रियंका ने बताया कि उसे 10वीं कक्षा में 84 प्रतिशत अंक मिले थे| इस वजह से उसे विश्वास नहीं हो रहा हैं कि आखिर वह एक ही कक्षा में दो बार कैसे फेल हो सकती है| प्रियंका ने कहाँ की जब वो 11वीं कक्षा में फेल हुयी तब उसने कुछ नहीं कहा लेकिन जब वो दूसरी बार फिर उसकी कक्षा में फेल हुयी तब उसने जानना चाहा की आखिर वो एक ही कक्षा में दो बार कैसे फेल हो सकती हैं|

इसलिए उसने स्कूल प्रबंधन से अपनी आन्सरशीट मांगी| लेकिन स्कूल प्रशासन भी उसे आन्सरशीट देने में आनाकानी कर रहा था| बहुत कोशिशों के बाद प्रियंका को आन्सरशीट दी गयी| जब उसने आन्सरशीट देखा तब जो सच्चाई सामने आई उसे देखकर वह हैरान रह गयी| प्रियंका के रिपोर्ट कार्ड में उसके माता-पिता का नाम नहीं बल्कि किसी और का नाम लिखा हुआ था| इसके अलावा रिपोर्ट कार्ड पर प्रियंका के डेट ऑफ बर्थ भी गलत था|

प्रियंका ने आरोप लगाया कि पहली बार जब वह 11वीं में फेल हुयी थी तब कम्पार्टमेंट एग्जाम नहीं देने दिया गया था और दूसरी बार उसे 4 विषयों में फेल कर दिया गया था| अब इतना सब कुछ होने के बाद प्रियंका ने एससी-एसटी आयोग से गुहार लगायी हैं| एससी-एसटी आयोग ने सुनवाई के लिए दोनों पक्षों को बुलाया हैं, जिसमें स्कूल की प्रिंसिपल उपस्थित नहीं रहीं| इसके बाद आयोग ने दूसरी डेट दी जिसकी जानकारी प्रियंका को नहीं दी गयी थी| इस बार आयोग ने प्रियंका के खिलाफ फैसला सुनाया|

इस मामले के बारे में स्कूल की प्रिंसिपल ने कुछ नहीं कहाँ| आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रियंका शरीर से 60 प्रतिशत दिव्यांग है| प्रियंका के पिता मजदूर हैं और वो मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं| एक ही कक्षा में लगातार दो बार फेल होने से प्रियंका को स्कूल से निकाल दिया गया है|

अब प्रियंका को कुछ नहीं समझ रहा हैं की वो न्याय के लिए कहाँ जाए क्योंकि वो बड़ी होकर नाम कमाना चाहती हैं| जिसके लिए शिक्षा जरूरी हैं|