तो इस वजह से अष्टमी के दिन कन्या भोज के समय एक बालक का होना भी है जरूरी

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हिन्दू धर्म के अनुसार बहुत ही जल्द नवरात्रि का त्यौहार शुरू होने वाला है. गौरतलब है कि यह त्यौहार पूरी तरह से माता रानी को समर्पित होता है. यानि अगर हम सीधे शब्दों में कहे तो नवरात्रि के नौ दिनों में लोग माता रानी को खुश करने के लिए नौ दिन का व्रत रखते है और उसके बाद अष्टमी का दिन आता है. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इस दिन कन्याओ को घर पर बुला कर कन्या पूजन किया जाता है. गौरतलब है कि आज कल देश भर में नवरात्रि की तैयारियां शुरू हो चुका है. जी हां यह त्यौहार शुरू होने से पहले ही घर घर में माता के आगमन की तैयारी की जा रही है.

गौरतलब है कि नवरात्रि के दौरान पूरे नौ दिन तक माता रानी के अलग अलग रूपों की पूजा की जाती है. वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत दस अक्टूबर को होने वाली है. अब ये तो सब को मालूम है कि बेटी को लक्ष्मी का रूप माना जाता है. यानि अगर हम सीधे शब्दों में कहे तो अष्टमी के दिन कन्याओ को माता का रूप मान कर उनकी पूजा की जाती है और उन्हें भोजन करवाया जाता है. वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दे कि जिस तरह से नवरात्रि में माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक वैसे ही अष्टमी के दिन नौ कन्याओ को घर में बुला कर उनकी पूजा की जाती है.

इसके साथ ही उन्हें भोजन करवाया जाता है. बता दे कि इस दिन खास तौर पर पकवान बनाये जाते है. इसके इलावा कन्याओ को कुछ भेंट भी दी जाती है. जी हां ऐसा करने से माता रानी जल्दी प्रसन्न हो जाती है. वैसे भी कन्याओ को माता का रूप ही माना जाता है. ऐसे में अगर अष्टमी वाले दिन उन्हें भोजन करवाने के बाद उनके पैर छू कर आशीर्वाद लिया जाएँ, तो इससे आपके नवरात्रि के व्रत साकार हो जाते है. बता दे कि इससे माता रानी अपने भक्तो की मनोकामना जल्दी ही पूरी कर देती है. हिन्दू धर्म के अनुसार जो लोग नवरात्रि के दौरान पूरे नौ दिन तक व्रत रखते है और फिर अपने घर में कन्याओ को बुला कर कन्या पूजन करते है, उन्हें माता रानी का सीधा आशीर्वाद मिलता है.

हालांकि आपने अक्सर देखा होगा कि अष्टमी के दिन नौ कन्याओ के साथ एक बालक यानि लड़का भी बुलाया जाता है. जिसे आम भाषा में लौंकड़ा कहते है. बता दे कि अष्टमी के दिन नौ कन्याओ के साथ एक बालक का होना बेहद जरुरी है. वो इसलिए क्यूकि उस एक बालक को हनुमान जी का रूप माना जाता है. जी हां जिस तरह से माता रानी की पूजा भैरव बाबा के दर्शन किए बिना अधूरी होती है. वैसे ही नौ कन्याओ के साथ एक बालक को भोजन करवाना भी जरुरी होता है. इससे आपकी पूजा सफल हो जाती है. जी हां कन्याभोज के समय नौ कन्याओ के साथ एक बालक का होना बेहद शुभ माना जाता है.

इसलिए अगर हो सके तो अष्टमी के दिन नौ कन्याओ के साथ एक बालक को अपने घर पर जरूर बुलाएं.