सावन खत्म होने से पहले नंदी के कान में बोले ये एक बात, यकीनन पूरी हो जाएगी आपकी हर मनोकामना

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हिन्दी पंचांग के सभी बारह महीनों में श्रावण मास का विशेष महत्व माना जाता है, क्योंकि ये शिवजी की भक्ति का महीना है। श्रावण मास को सावन माह भी कहते है। मान्यता है कि जो लोग इस माह में शिवजी की पूजा करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं। कार्यों में आ रही मुश्किलें खत्म हो जाती हैं और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।सावन और नवरात्र के महीने में भारत में सबसे ज्यादा पूजा-पाठ होते है और फिर सावन तो भगवान शिव का प्रिय महीना है| महादेव इस महीने सभी की मनोकामना पूरी करते हैं|

साथ ही इस महीने ‘रुद्राभिषेक’ का काफी विशेष महत्व है| सोमवार के दिन खास तौर पर शिवजी का ‘रुद्राभिषेक’ करने से कृपा की प्राप्ति होती है|अभिषेक के बाद कुशा बेलपत्र, शमीपत्र तथा दूब आदि अर्पित करने से शिवजी प्रसन्न होते हैं और साथ ही अंत में भांग, धतूरा तथा श्रीफल से महादेव को भोग लगाया जाता है|

सावन का महीना

सावन का महीना इस वर्ष 28 जुलाई से आरंभ हो रहा है| हालांकि तिथि 27 जुलाई को ही लग जाएगी| परन्तु इसका आरम्भिक समय उदया तिथि से ही माना जाएगा| इसलिए 28 जुलाई से ही इसकी शुरुआत मानी जाएगी| साथ ही इस सावन में चार सोमवार होंगे|

नंदी के कान में मनोकामना बोलने का महत्व

शिवजी के मन्दिर में उनकी प्रतिमा के ठीक सामने नंदी जी बैठे होते हैं| और जब भी लोग शिवजी के दर्शन के बाद निकलते हैं तो नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहते हैं| परन्तु क्या अपने कभी सोचा है कि शिव के सामने नंदी के विराजने की आखिर क्या वजह है? और क्या अपने कभी यह जानना चाहा है कि आखिर लोग अपनी मनोकामनाएं नंदी के कान में क्यों कहते है ? अगर आपके मन में भी ऐसे सवाल है तो आपको आज इनका उत्तर मिल जायेगा|

पौराणिक कथाओं की माने तो नंदी काफी वर्षों तक वन में अकेले शिवजी का ध्यान करते रहे| ऐसे में भगवान शिव ,नंदी के तप से प्रफुल्लित होकर उन्हें वरदान दिया कि नंदी मृत्यु से भय से मुक्त है और संसार में अजर और अमर है| और इसी के बाद नंदी को नंदीश्वर का दर्जा मिल गया | बाद में मरुतों की पुत्री सुयशा के साथ नंदी का विवाह हुआ| भगवान शंकर ने नंदी को वरदान दिया कि जहां उनका निवास होगा, वहां नंदी का भी निवास होगा| तभी से हर शिव मंदिर में शिवजी के सामने नंदी की स्थापना की जाती है|

मान्यता है कि भगवान शिव नंदी की हर बात को पूरा करते हैं। नंदी महाराज खुश होंगे तभी आपकी बात भगवान शिव तक पहुंचेगी। हम यह बात इस आधार पर कह रहे हैं कि शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान शिव ने नंदी महाराज को वरदान दिया है कि जो भी व्यक्ति तुम्हारी कान में आकर अपनी मुराद बताएगा उसे मैं सुन लूंगा| इसलिए अब अगर आप शिव मंदिर जाएं, तो नंदी के कानों में अपनी मनचाही मुराद पूरी कराने के लिए कहें।

नंदी के नेत्र सदैव अपने इष्ट को स्मरण रखने का प्रतीक हैं, नंदी पवित्रता, विवेक, बुद्धि और ज्ञान के प्रतीक हैं। उनका हर क्षण शिव को ही समर्पित है और मनुष्य को यही शिक्षा देते हैं कि वह भी अपना हर क्षण परमात्मा को अर्पित करता चले तो उसका ध्यान भगवान रखेंगे।