जब नेहरु जी को अटल बिहारी वाजपेयी को हराने के लिए लेना पड़ा इस फिल्म स्टार का सहारा,जानें कौन था वो स्टार

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देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी पंचतत्व में विलीन हो चुके है और अब अब हमारे साथ बस उनकी यादे ही बची है जो हमे जीवन की सही दिशा दिखा सकती है | अटल जी के दुनिया से अलविदा कह जाने पर पूर पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गयी है |अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजीनीति के एक बहुत ही प्रतिभावान व्यक्ति है। राजनीती में प्रसिद्धि वाजपेयी के प्रतिद्वंदी भी उनके प्रतिभा के कायल रहे है। अटल बिहारी शुरू से ही सही समय पर सही निर्णय लेने में थोड़ा भी नही हिचकते। इसी कारण अटल बिहारी वाजपेयी को भारतीय राजनीती का “अजातशत्रु” भी कहा जाता है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा है कि वाजपेयी भले ही हमें छोड़कर चिरनिद्रा में लीन हो गए हों लेकिन उनकी वाणी, उनका जीवन दर्शन सभी भारतवासियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। उनका ओजस्वी, तेजस्वी और यशस्वी व्यक्तित्व सदा देश के लोगों का मार्गदर्शन करता रहेगा। अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को मध्यप्रदेश भारत में हुआ था।  वाजपेयी के पिता का नाम कृष्णा बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था।   इन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गोरखी विद्यालय से प्राप्त की और बाद में आगे की पढाई के लिए ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज से की थी |

अटल बिहारी वाजपेयी के राजनितिक जीवन की शुरुआत आजादी के लड़ाई के दौरान ही शुरू हो गयी थी। सन् 1955 में पहली बार वाजपेयी ने लोकसभा का चुनाव लड़ा पर हार का सामना करना पड़ा लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी हिम्मत नही हारी |आज हम आपको अटल जी के जीवन से जुड़ा एक ऐसा किस्सा बताने वाले है जो देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के साथ जुड़ा हुआ है |

दरअसल ये किस्सा है सन 1957 का जब पहली बार अटल जी बलरामपुर सीट से 10 हजार वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे उन दिनों कांग्रेस की तरफ से गांधीवादी शुभद्रा जोशी को उनके खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतारा गया था बता दे उन दिनों अटल जी और कांग्रेस पार्टी दोनों ही भारत छोड़ो आन्दोलन  का हिस्सा थे लेकिन फिर भी इनके विचार एक दुसरे से बिल्कुल ही अलग थे |

अटल जी जब पहली बार संसद पहुंचे थे तब उस समय उनका भाषण सुनकर नेहरु जी बहुत ही ज्यादा प्रभावित हुए थे उर उनकी प्रतिभा के बारे में समझ गये थे साथ ही उन्होंने तो अटल जी को भविष्य में प्रधानमंत्री के रूप में देखना भी शुरू कर दिया था  कहा जाता है कि 1962 के लोकसभा चुनाव में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अटल जी को हराने के लिए एक मशहूर बॉलीवुड एक्टर का सहारा लिया था।

बलरामपुर लोकसभा सीट पर नेहरू ने कांग्रेस की ओर से वाजपेयी के खिलाफ सुभद्रा जोशी को खड़ा किया था। हालांकि ये ऐसा दौर था जब चुनाव में जीत हासिल करने के लिए फिल्मी हस्तियों को नहीं बुलाया जाता था लेकिन पंडित नेहरू को वाजपेयी की जनता को अपनी ओर खींचने की कला के बारे में ठीक से मालूम था, इसलिए इस चुनाव में उन्होंने बॉलीवुड के मशहूर एक्टर बलराज साहनी को बलरामपुर में कांग्रेस का प्रचार करने का न्योता दिया और उन्होंने वाजपेयी के खिलाफ प्रचार किया जिसका नतीजा ये हुआ की  वाजपेयी जी ये चुनाव हार गये |

बलराज साहनी  से प्रचार कराने के बाद भी बेहद कम अंतर था वोट में

बलराज साहनी के प्रचार की बदौलत सुभद्रा जोशी ने चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी को 2052 वोट से हराया। सुभद्रा जोशी को उस चुनाव में कुल 1 लाख 2 हजार 260 वोट मिले थे जबकि अटल जी को 1 लाख 208 वोट मिले। सिर्फ एक परसेंट से भी कम वोटों के अंतर से अटल जी को हार का सामना करना पड़ा।बलरामपुर में आज भी इस चुनाव की चर्चा होती है।