IIT देने के लिए कभी जेब में पैसे नहीं थे, बाद में मेहनत से कर लिया UPSC टॉप

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भारत में कई तरह की परीक्षाएं होती है। इन परीक्षा में सबसे कठिन परीक्षा होती है आईआईटी आईआईएम की।लेकिन अगर इन सबसे ऊपर भी कोई एग्जाम है तो वह है यूपीएससी के एग्जाम। भारत के कई युवा यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करते हैं ताकि वह परीक्षा पास कर सके और एक बड़े अफसर के रूप में देश की सेवा कर सके। आपको बता दें कि न सिर्फ देश की बल्कि दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में भारत की यूपीएससी परीक्षा का नाम शामिल है। इस परीक्षा को पास करने के लिए परीक्षार्थी अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं। हालांकि इसके बावजूद भी बहुत कम ऐसे परीक्षार्थी होते हैं जो इस परीक्षा को निकाल पाते हैं। ऐसे में आज हमने आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बताने वाले हैं जिसने मेहनत के दम पर इस कठिन परीक्षा को पास किया। बिहार के कटिहार निवासी शुभम कुमार के बारे में। आपको बता दें कि शुभम यूपीएससी 2020 के टॉपर है। इस परीक्षा में शुभम कुमार प्रथम स्थान हासिल करने के बाद देश की सेवा करने के लिए तैयार हो गए हैं।

इस कठिन परीक्षा में अव्वल आने के बाद उन्हें देश भर से बधाइयां भी मिली थी। यूपीएससी 2020 में बिहार के रहने वाले शुभम कुमार टॉपर बने थे। गौरतलब है कि इस कठिन परीक्षा में पहले दो प्रयास में वह भी असफल रहे थे तीसरे प्रयास में उन्हें यह सफलता हाथ लगी थी। शुभम ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मैंने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। कई बार तो ऐसा होता था कि पूरी तरह से हिम्मत हार जाती थी। लेकिन माता पिता और भाई के सहयोग से ही यह सफलता हाथ लगी है। इसके बाद शुभम ने बताया कि मैं रोज़ 8 घंटे पढ़ाई करता था। पिछली बार मेरा सिलेक्शन इंडियन डिफेंस अकाउंट सर्विस में हुआ था। लेकिन मैं आईएएस बनना चाहता था इसीलिए मैंने तीन बार प्रयास किए थे। शुभम के रिकॉर्ड के बारे में बात करें तो वह पहले प्रयास में असफल रहे थे। दूसरी बार में 290 रैंक आई थी। और तीसरी कोशिश में उनकी नंबर 1 रैंक आई। आपको बता दें कि शुभम का घर कटिहार के कदवा प्रखंड के कुमारी गांव में है।

शुभम कुमार ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2018 में यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करना शुरू किया था। इस दौरान काफी उतार-चढ़ाव उन्होंने देखे, लेकिन इस दौरान उन्होंने अपना फोकस बनाए रखा और जितना हो सका उन्होंने अपनी पूरी कोशिश की। कोरोना काल में भी काफी मुश्किल दौर था लेकिन उनका मोटिवेशन था कि तैयारी करनी ही है। इस दौरान उन्हें घर से भी काफी सपोर्ट मिला। वह अपने घर वालों को भी सफलता के पीछे श्रेय देते हैं। अपने बेटे की सफलता पर शुभम के पिता देवानंद सिंह ने बताया कि वह बचपन से ही पढ़ाई में काफी अव्वल थे। पिता ने बताया कि शुभम ने पढ़ाई के प्रति ने हर संभव प्रयास किया। गौरतलब है कि शुभम ने जब इस कठिन परीक्षा को क्लियर किया तो वह इंडियन डिफेंस अकाउंट्स सर्विस में ट्रेनिंग कर रहे थे।

पटना में पढ़ाई करने वाले शुभम ने बोकारो से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की है। इसके बाद उन्होंने मुंबई आईआईटी से सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है। दरअसल एक बार हुआ ऐसा था कि जब वह छठी क्लास में पढ़ते थे तो उनके एक आंसर को उनके शिक्षक द्वारा गलत करार दिया गया था। शुभम के मुताबिक उन्हें अपना जवाब सही लग रहा था। इसके बावजूद शिक्षक के गलत करार देने से वह बहुत दुखी हुए थे। शुभम ने अपने इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने 12 वीं के बाद ही सोच लिया था कि उन्हें यूपीएससी की तैयारी करनी है। इसके बाद उन्होंने बताया कि मैं एक मिडिल क्लास परिवार से आता हूं तो ऐसे में लगा कि अगर मैं आईआईटी क्लियर कर लेता हूं तो भविष्य सिक्योर हो जाएगा। मैं फिजिक्स केमिस्ट्री मैथ्स में काफी अच्छा भी था इसलिए पहले उधर ही ध्यान लगाया। शुभम कुमार के पिता देवानंद सिंह के पास 500 रूपए नहीं थे, जिसे कारन से वह 1983 में आईआईटी एग्जाम नहीं दे पाए।