जाने आखिर मंदिर में क्यों लगाई जाती है घंटियां, वजह जान कर रह जायेंगे दंग

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अगर हम भारत देश की बात करे तो इसमें कोई शक नहीं कि भारत के लोग ईश्वर में भरपूर आस्था रखते है. जी हां तभी तो यहाँ के लोग अपनी मन्नते पूरी करने के लिए भगवान् के द्वार पर जाते है. गौरतलब है कि लोग भगवान् के प्रति अपनी आस्था दिखाने के लिए मंदिर में जाते है. अब जाहिर सी बात है कि हमारे भारत देश में इतने ज्यादा मंदिर है कि उनकी गिनती करना भी मुश्किल है. बरहलाल ऐसा कोई देश नहीं जहाँ आपको मंदिर देखने को न मिले. यानि अगर हम सीधे शब्दों में कहे तो मंदिर केवल भारत देश में ही नहीं बल्कि विदेशो में भी देखने को मिलते है. जी हां विदेशी लोग भी भगवान् में यकीन तो जरूर रखते है.

वैसे आपने अक्सर देखा होगा कि मंदिर में प्रवेश करते ही वहां बहुत सारी घंटियां लटकी होती है. मगर क्या आप जानते है कि मंदिर में लगी इन घंटियों का क्या मतलब होता है? अब इसमें तो कोई शक नहीं कि जब हम किसी भी भगवान् के मंदिर में जाते है, तो वहां अपनी श्रद्धा दिखाने के लिए घंटिया तो जरूर बजाते है, लेकिन बहुत कम लोग जानते है कि आखिर मंदिर में घंटिया क्यों लगाई जाती है और इसका क्या महत्व है. वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दे कि हमारे हिन्दू धर्म में हर चीज का अपना ही एक अलग महत्व होता है. ऐसे में अगर मंदिर में घंटिया लगी होती है तो इसका भी कुछ न कुछ खास महत्व तो जरूर होगा.

मंदिर में क्यों लगाई जाती है घंटियां

बरहलाल अगर आपके मन में भी मंदिर में लगी घंटियों को लेकर कभी ऐसे सवाल आएं हो और आपको इसका जवाब न मिला हो, तो आज हम आपको इन सभी सवालों के जवाब जरूर देंगे. जी हां आज हम आपको बताएंगे कि आखिर मंदिर में घंटिया क्यों लगाई जाती है और इसका क्या महत्व होता है. गौरतलब है कि जहाँ एक तरफ इसके कुछ आध्यात्मिक कारण है, तो वही दूसरी तरफ इसके कुछ वैज्ञानिक कारण भी है. दरअसल जब हम मंदिर में प्रवेश करते है, तब मंदिर का वातावरण काफी शांत और शुद्ध होता है. यही वजह है कि मंदिर में प्रवेश करते ही हमारे मन को काफी सुकून मिलता है.

इसके इलावा मंदिर जाने के बाद व्यक्ति कुछ समय के लिए सभी सांसारिक परेशानियों से मुक्त हो जाता है. इस दौरान व्यक्ति के मन में चल रहे सभी विचार कुछ समय के लिए शांत हो जाते है. गौरतलब है कि मंदिर के वातावरण को शुद्ध करने में वहां मौजूद घंटियों का भी काफी बड़ा योगदान होता है. बता दे कि जब व्यक्ति मंदिर जाता है, तब घंटी बजाने के बाद ही अपनी पूजा शुरू करता है. हालांकि आज के समय में भले ही मंदिर के चारो तरफ दीवारे बना दी गई हो, लेकिन पहले के समय ऐसा नहीं होता था. जी हां पहले के समय में मंदिर चारो तरफ से खुला होता था.

जिसके कारण वहां कई जानवर भी घुस आते थे. गौरतलब है कि इसी परेशानी से बचने के लिए मंदिर में घंटिया लगाई जाती थी. दरअसल जानवर घंटियों की तेज आवाज सुन कर डर जाते थे और वहां से भाग जाते थे. वही इसका एक वैज्ञानिक कारण भी है. बरहलाल वैज्ञानिको का मानना है कि घंटियों से निकलने वाली तरंगे मानव के दिमाग के लिए काफी अच्छी है. यही वजह है कि मंदिर में लगी घंटिया लोहे और ताम्बे की धातु से बनी होती है, जो व्यक्ति के अंदर की नकारात्मक ऊर्जा को खत्म कर देती है और सकारात्मक ऊर्जा को जगा देती है. जिससे व्यक्ति का मन शांत रहता है.

बरहलाल अब तो आप समझ गए होंगे कि आखिर मंदिर में घंटिया क्यों लगाई जाती है.