पिता के लिए थी सबसे मुश्किल घड़ी जब एक तरफ हो रही बेटी की शादी और दूसरी तरफ बेटे का अंतिम संस्कार

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दोस्तों सभी के लिए उनके घर में किसी बड़ी ख़ुशी का आना कितना मायने रखता है ये बात तो आप सभी जानते ही है. सुख और दुःख तो लोगो के जीवन में आते रहते है लेकिन कई बार हमारी जिन्दगी में कुछ ऐसा हो जाता है जो हमारी समझ से बाहर होता है. कई बार तो हम ऐसी परिस्थिति में फंस जाते है जिसमे रहकर न हम आगे जा पाते है और न ही पीछे देख सकते है. ऐसा ही कुछ कानपुर के मंगलपुर में एक फौजी के साथ हुआ है. रिटायर्ड फौजी रामनरेश के घर पर शादी थी. उनकी बेटी की शादी थी. घर में बरात आने वाली थी सभी लोग घर के काम में लगे हुए थे और लडकी का भाई कुछ सामान के लिए बाज़ार गया हुआ था.

रास्ते में लडकी के भाई की बाइक को किसी ट्रक ने टक्कर मारी और लड़का गिर गया. लडके को अस्पताल ले जाया गया इससे पहले वो अस्पताल पहुँचता उसने दम तोड दिया. पिता को जैसे ही इस बात की भनक मिली वे अंदर से पूरी तरह टूट गये थे उन्होंने घर पर किसी को भी इस बात को बताना सही नही समझा. जब शादी पूरी तरह से सम्पन्न हो गयी तो उन्होंने घरवालो को पूरी घटना की जानकारी दी तो ये खबर सुनकर घरवाले जोर जोर से रोने बिलखने लगे. पिता ने अपनी बेटी की शादी पहले अछे से धूमधाम से की हालांकि उनके अंदर जो आंसुओ का सैलाब था वह बाहर आया था लेकिन हर किसी को लग रहा था कि बेटी की विदाई में हर पिता रोता ही है.

किसी को इस बात की भनक तक नही लगी कि पिटा को इस समय कितना दुःख हो रहा है एक तरफ उनकी बेटी उन्हें छोडकर दुसरे घर जा रही है और दूसरी तरफ उनके बुढापे का सहारा हमेशा के लिए उनका साथ छोडकर का चूका है. अब वे बेसहारा हो गये थे उनके लिए ये घड़ी सबसे मुश्किल घड़ी थी. घर परिवार वालो के उपर भी ये दुःख का ही एक पहाड़ था. हर कोई इस सदमे से टूट चूका था. पिता करता भी तो क्या. बेटा तो वह पहले ही खो चुका था लेकिन अपनी बेटी की शादी को सही तरीके से करना चाहता था इसलिए उसने बेटी की विदाई तक किसी को कोई बात पता नही चलने दी और अकेले ही सबकुछ सहन करता गया.

जब एक जवान बेटा हमे छोडकर चला जाता है तो उस पिटा पर क्या बीतती है ये तो राम नरेश ही समझ सकते थे. उनके सर पर दुखो का पहाड़ टूट गया था. बेटी की शादी खत्म होने पर उन्होंने बेटे की अर्थी को कंधा दिया और उसका अंतिम संस्कार किया. जिस बेटे ने पिटा का अंतिम संस्कार करना था वही पिता अपने बेटे का क्रियाक्रम कर रहा था. इससे बड़े दुःख की बात उस पिता के लिए क्या हो सकती है. फिर भी उसने अपनी बेटी की शादी होने का इंतज़ार किया और फिर जाकर घर के सभी सदस्यों को बेटे की मौत की खबर सुनाई.इस तरह का हादसा अगर किसी और के साथ होता तो व्यक्ति टूट कर रह जाता है लेकिन इस पिता ने खुद को सम्भाला और हिम्मत से काम लिया.