जब अटल जी ने किया था अपने निजी जीवन से जुड़ा ये बड़ा खुलासा कहा- मैं अविवाहित हूं, पर कुंआरा नहीं हूं…

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जैसा की हम सभी जानते है की कल गुरुवार को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी  93 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गये और उनके निधन की खबर सुनते ही पूरे देश में मानों शोक की लहर दौड़ गयी |वे 11 जून से एम्स में भर्ती थे। शाम 5 बजकर 5 मिनट पर एम्स में उन्होंने अंतिम सांस ली।भारतीय राजनीति के युगपुरुष रहे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का आज यहां पारंपरिक विधि विधान तथा मंत्रोच्चार और गगनभेदी नारों के बीच पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया जिसके साथ ही उनका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया।

राजधानी के शांतिवन के निकट राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर भारत रत्न वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य ने उनको मुखाग्नि दी और शस्त्र दाग कर वाजपेयी को सलामी दी गई।भारत के राजनीतिक इतिहास में अटल बिहारी वाजपेयी का संपूर्ण व्यक्तित्व शिखर पुरुष के रूप में दर्ज है| अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी राजनीतिक कुशलता से भाजपा को देश में शीर्ष राजनीतिक सम्मान दिलाया. दो दर्जन से अधिक राजनीतिक दलों को मिलाकर उन्होंने राजग बनाया जिसकी सरकार में 80 से अधिक मंत्री थे, जिसे जम्बो मंत्रीमंडल भी कहा गया

उन्होंने राजनीति को दलगत और स्वार्थ की वैचारिकता से अलग हट कर अपनाया और उसको जिया. जीवन में आने वाली हर विषम परिस्थितियों और चुनौतियों को स्वीकार किया. नीतिगत सिद्धांत और वैचारिकता का कभी कत्ल नहीं होने दिया. राजनीतिक जीवन के उतार चढ़ाव में उन्होंने आलोचनाओं के बाद भी अपने को संयमित रखा. राजनीति में धुर विरोधी भी उनकी विचारधारा और कार्यशैली के कायल रहे. कलम के भी धनी वाजपेयी राष्ट्रदूत पत्रिका तथा वीर अर्जुन समाचारपत्र के सम्पादक भी थे. अविवाहित रहे वाजपेयी ने जीवन के हर रंग को अपनी कविताओं में बखूबी उकेरा. उनकी कविता का मूल स्वर राष्ट्रप्रेम ही था. वाजपेयी को कम शब्दों में परिभाषित करने के लिए उनकी यह पंक्ति पर्याप्त हैं,

‘मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,
लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?’

अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी विवाह नही किया| लोगो ने मज़ाक उड़ाया तो संसद में बोले की अविवाहित हु पर ” कुंवारा” नही..यानी नारी संसर्ग से परहेज नही था और इस तरह की बात कहने वाले ऐसे शायद अटल जी  पहले नेता थे  जिनके अंदर अपने निजी जीवन के रहस्य खोलने की हिम्मत थी |बेशक से उन्होंने शादी नहीं की थी  अटल ने अपना जीवन एक महिला मित्र को समर्पित कर दिया था.बहुत सभ्य, सलीके और इज्जत के साथ रिश्ता निभाया. उन महान देवी का नाम था श्रीमती राजकुमारी कौल.

कौन थी राजकुमारी कौल ?

अटल की कालेज के जमाने की मित्र थी ..कहते है बहुत गहरे मित्र थे दोनो.. परन्तु श्रीमती कौल की शादी हुयी विक्रम कौल के साथ ..शायद नियति को यही मंजूर था..समय बदला पर रिश्ते बरकरार रहे और अटल जी ने पूरे कौल परिवार को ही “गोद” ले लिया था.. श्रीमती कौल अटल के साथ ही रहती थी| अटल की सारी “सेवा” का ज़िम्मा श्रीमती कौल का था..बहुत सभ्य , सूलझी हुयी देवी थी वो..अटल का पूरा ध्यान रखती थी.सारी दुनिया श्रीमती कौल को इज्जत की निगाह से देखती थी और कभी भी कोई भी उनके इस रिश्ते पर कोई सवाल खड़ा नहीं कर सका क्योंकि कोई सवाल बनता ही नहीं था |

इस तरह से अटल जी और श्रीमती कॉल साथ रहे पर इस रिश्ते को कभी नाम नही दिया ..ये शायद अटल की राजनैतीक मजबूरी थी और श्रीमती कौल का निशब्द बलिदान.