20 साल तक घर के बाहर नहीं निकले थे पड़ोसी, लोगों ने जब अंदर जाकर देखा तो उड़ गए होश

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हमारे आस-पास कुछ ऐसे लोग होते हैं| जिनका व्यवहार थोड़ा अलग होता हैं| वो ना ज्यादा किसी से बात करते हैं और ना ही अपने पड़ोसियों से ज्यादा मेल-जोल रखते हैं| ऐसे लोग बस अपने काम से काम रहते है| यहाँ तक की ऐसे लोग ना अपने पड़ोसियों के घर जाते हैं और ना ही उन्हें कभी अपने यहाँ बुलाते हैं| उन्हें अपने आस-पास होने वाले घटनाओं या पड़ोसियों से कोई मतलब नहीं होता हैं|

ऐसे व्यवहार के लोग ज्यादातर अपने घर में ही रहते हैं| ऐसे लोग ज्यादा बाहर भी नहीं निकलते हैं| ऐसे लोगों को देखकर पड़ोसी थोड़े हैरान जरूर होते हैं| क्योंकि इनके व्यवहार दूसरों के प्रति थोड़ा अजीब होता हैं| जिसकी वजह से ये लोग हमेशा शक के दायरे में होते हैं| इस तरह के लोग ज़्यादातर क्राइम से जुड़े होते हैं|

कुछ इसी तरह के लेडिट युजर के भी पड़ोसी थे| लेडिट युजर के भी पड़ोसी ज्यादा किसी से मेलजोल नहीं रखते थे और ना ही ज्यादा किसी से बातचीत करते थे| लेडिट युजर ने बताया की उनके पड़ोसी करीब 20 साल पहले उनके पास वाले फ्लैट में शिफ्ट हुए थे लेकिन उन लोगों का व्यवहार बड़ा अजीब था वो लोग किसी को भी अपने घर के अंदर आने नहीं देते थे| रेडिट युजर ने बताया की उनके पड़ोसी के घर से सड़ी लाशों जैसी बदबू आती थी लेकिन किसी की हिम्मत नहीं होती थी की वो जाकर उनसे पुछे की आखिर इस तरह की बदबू क्यों आती हैं|

रेडिट युजर के पड़ोसियों ने जब 20 साल बाद फ्लैट खाली किया तब कहीं जाकर रेडिट युजर ने अपने एक दोस्त के साथ घर के अंदर जाने की हिम्मत की लेकिन अंदर जाते ही घर के अंदर का नजारा कुछ और ही था| जिसे देखकर रेडिट युजर के होश उड़ गए| जब रेडिट युजर ने दरवाजा खोला तब घर के अंदर से इतनी तेज बदबू आ रही थी की वहाँ एक मिनट खड़ा रहना भी मुश्किल था| उनके पड़ोसियों के घर में कुड़े का ढेर, सड़ता हुआ खाना, चारों तरफ कुत्ते की पोटी ही पड़ी थी| भला ऐसे घर में कोई कैसे रह सकता हैं|

घर के अंदर जाने से पहले ही रेडिट युजर और उनके दोस्त ने मास्क पहना था लेकिन घर के अंदर से आ रही बदबू इतनी तेज थी की मास्क भी उसे रोक पाने में नाकामयाब रही| रेडिट युजर के पड़ोसियों ने कई सालों पहले ही कचड़ा लेने वालों से सर्विसेज लेना भी बंद कर दिया था| इसके अलावा वे लोग कुत्ते को भी बाहर नहीं निकलने देते थे| घर के सभी सदस्य घर के अंदर ही रहते थे| वे लोग बाहर बहुत कम ही निकलते थे| ये लोग शॉपिंग के लिए भी बाहर नहीं जाते थे| बाहर ना जाना पड़े इसलिए वो ऑनलाइन ही शॉपिंग करते थे|

इस तरह के लोगों को देखकर मन में कई सवाल उठते हैं की आखिर इन लोगों को घर के अंदर रहने में घुटन नहीं होती या फिर इन्हें बाहर की दुनिया अच्छी नहीं लगती हैं क्या? ऐसे लोगों से बात करने में भी दर लगता हैं कि पता नहीं वो कब और क्या कर दे|